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25 रुपये दर्जन व 200 रुपये सैकड़ा बिक रहा दीया

गुमला. दीपों का पर्व दीपावली को लेकर मिट्टी से बने दीयों व खिलौने समेत विभिन्न उत्पादों का बाजार सज गया है. विशेष रूप से मिट्टी के दीये बाजार में आने के साथ ही बिकने लगे हैं. लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार दीये ले रहे हैं. बाजार में सड़क किनारे मिट्टी से बनी सामानों की प्राय: दुकानों में खरीदारों को खरीदारी करते हुए देखा जा रहा है. इस साल दीये की कीमत में तेजी है. बीते साल की अपेक्षा इस साल प्रति दर्जन (12 पीस) दीया में पांच रुपये व प्रति सैकड़ा (100 पीस) में 50 रुपये तक वृद्धि हुई है. बाजार में दीये प्रति दर्जन 25 रुपये व प्रति सैकड़ा 200 रुपये की दर से बिक रहा है. इस प्रकार छोटा दीया 20 रुपये दर्जन, बड़ा दीया 10 रुपये प्रति पीस, कलश 10, 20 व 30 रुपये प्रति पीस, धूपदानी 20 व 30 प्रति पीस तथा ग्वालिन में शेरवानी दीया व हाथी दीया 60 से 80 रुपये प्रति पीस, छोटा ग्वालिन 50 से 60 रुपये व बड़ा ग्वालिन 120 रुपये प्रति पीस की दर से बिक रहा है. बाजार में मिट्टी से बने विभिन्न प्रकार के खिलौनों की भी काफी मांग है. मिट्टी से बने हाथी, घोड़ा, शेर, तोता, बाल्टी, डेकची, जांता, सूप, लोढ़ा-सिलोट, ताई, चूल्हा, थाली, गगरा आदि प्रति पीस 20 रुपये की दर से बिक रहा है. बच्चों को हाथी, घोड़ा, शेर व तोते काफी भा रहे हैं.

बारिश ने दीयों की कीमत में लायी है तेजी

इस साल अपेक्षा से अधिक और आये दिन की बारिश के कारण कुम्हार कारीगरों को दीया बनाने का अवसर नहीं मिला. दीपावली को लेकर प्रत्येक साल एक परिवार कम से कम 30 हजार से लेकर अधिकतम 1.50 लाख दीया तक बनाते रहे हैं. लेकिन इस साल की आये दिन की बारिश के कारण वे अधिक दीये नहीं बना पाये. बारिश में कमी आने के बाद कारीगरों ने दीये बनाना शुरू किया. लेकिन बीते सालों की भांति इस साल अपेक्षाकृत दीये नहीं बनाये गये. इसका सीधा असर दीया के बाजार पर पड़ा. इस साल दीया प्रति दर्जन 25 रुपये व प्रति सैकड़ा 200 रुपये की दर से बिक रहा है, जबकि बीते साल प्रति दर्जन 20 रुपये व प्रति सैकड़ा 150 रुपये तक की दर से बिका था.

बरसात में एक भी दीया नहीं बना पाये : अनिता

अनिता देवी ने बताया कि इस साल वह आधा दीया ही बना पायी. उन्होंने बताया कि दीपावली को लेकर वह अपने परिवार के साथ हर साल लगभग 40 से 50 हजार दीया बनाती रही हैं. लेकिन इस साल लगभग 20 हजार ही बना पायी. उन्होंने बताया कि इस साल बारिश ने परेशान किया. बरसात में एक भी दीया नहीं बना पाये.

इस साल 50 से 60 हजार ही दीया बना पाये : वीणा

वीणा देवी ने बताया कि इस साल उनके पास दीयों की कमी है. उन्होंने बताया कि हर साल वह लगभग 1.50 लाख तक दीया बनाती रही है. लेकिन इस साल बारिश ने दीया बनाने नहीं दिया. इस साल 50 से 60 हजार दीया बना सकी है. दीया की कमी सिर्फ उनके पास ही नहीं, बल्कि दीया बनाने वाले हर कारीगर के पास है.

कम दीया मिलने की संभावना है : बलराम

बलराम प्रजापति ने बताया कि इस साल मिट्टी के सामान विशेषकर दीयों की कीमत अधिक है. दीया प्रति दर्जन 25 रुपये प प्रति दर्जन 200 रुपये की दर से बिक रहा है. अधिक कीमत होने का मुख्य कारण यह है कि इस साल आवश्यकता अनुसार दीया नहीं बना पाये हैं. बारिश के कारण मिट्टी के सामान नहीं बना पाये हैं.

आंख की रोशनी ने हुनर से दूर किया : मनु

मनु प्रजापति ने बताया कि पूर्व में वह मिट्टी के सामान खुद से बनाता था. लेकिन आंखों की कमजोरी के कारण सामान खुद से नहीं बना पाता है. जब आंख से पूरा दिखायी देता था तो तरह-तरह के सामान बनाता था. लेकिन आंख की कम रोशनी ने उसे हुनर से दूर कर दिया. लेकिन आज भी मिट्टी से बने सामानों के व्यवसाय से जुड़े हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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