भागलपुर में आरोपितों व वारंटियों की गिरफ्तारी से लेकर उन्हें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने में लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं. पुलिस पदाधिकारियों/अनुसंधानकर्ताओं की इस लापरवाही पर इस बार कोर्ट का डंडा चला है. मंगलवार को भागलपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे 16 विश्व विभूति गुप्ता की अदालत ने गिरफ्तारी के दौरान लापरवाही बतरने वाले कुल चार पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध जुर्माना की कार्रवाई की है. वहीं दो पुलिस पदाधिकारी को आखिरी चेतावनी देते हुए, गिरफ्तारी संबंधित दस्तावेजों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए त्रुटियों को सुधारने का मौका देते हुए चेतावनी दी है.
मंगलवार को एडीजे 16 की अदालत में कई मामलों के गिरफ्तार अभियुक्तों को प्रस्तुत किया गया. इस दौरान कोर्ट ने गिरफ्तार आरोपितों, उनके अधिवक्ताओं और कांड के अनुसंधानकर्ता/पुलिस पदाधिकारी से नये कानून और उच्च न्यायालय के द्वारा इस संबंध में दिये गये निर्देशों के अनुपालन किये जाने की बात पर कई सवाल किया. जिसमें कांड के अनुसंधानकर्ता/पुलिस पदाधिकारी की लापरवाही उजागर हो गयी.
किसी मामले में आरोपितों को गिरफ्तारी से लेकर कोर्ट लाये जाने तक उन्हें पुलिस पदाधिकारियों द्वारा इस बात की भी जानकारी नहीं दी गयी थी कि आखिर उन्हें किस कांड में या किस वारंट के आलोक में गिरफ्तार किया गया है. वहीं कुछ मामलों में गिरफ्तार अभियुक्तों के साथ अनुसंधानकर्ता द्वारा कोर्ट में समर्पित केस डायरी में त्रुटि पायी गयी. जैसे कि पुलिस पदाधिकारियों द्वारा कांड में की गयी गिरफ्तारी का उल्लेख केस डायरी में किया ही नहीं गया था.
वहीं एक मामले में पुलिस पदाधिकारी द्वारा कोर्ट में समर्पित अरेस्ट मेमो में भी त्रुटि पकड़ी गयी. अरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी के कारणों व कांड संबंधित जानकारी का उल्लेख नहीं किया गया था. जिन पदाधिकारियों की लापरवाही कोर्ट ने पकड़ी है उनमें उत्पाद (मद्य निषेध) थाना, अंतीचक थाना, बरारी थाना सहित तीन अन्य थाना के पदाधिकारी सहित एक स्त्री पुलिस पदाधिकारी भी शामिल हैं. लापरवाही बरतने वाले तीन पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध 10-10 हजार तो एक के विरुद्ध 25 हजार रुपये जुर्माना की कार्रवाई की गयी है.
गिरफ्तारी या छापेमारी के दौरान पुलिस को बनाना होगा वीडियो
नये कानून बीएनएस और बीएनएसएस के तहत गिरफ्तारी से लेकर केस दर्ज करने, चार्जशीट करने आदि सभी नियमों में पुलिस की कार्रवाई को लेकर नये दिशा निर्देश दिये गये हैं. जिसमें अब पुलिस पदाधिकारियों को गिरफ्तारी या छापेमारी के दौरान घटनास्थल सहित कई अन्य बिंदुओं पर वीडियोग्राफी करानी होगी.
जिसकी कॉपी केस डायरी के साथ कोर्ट के समक्ष समर्पित की जायेगी. पूर्व में पुलिस द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारी या छापेमारी के तरीकों पर कई सवाल उठ चुके हैं और कई आराेप भी लगाये जा चुके हैं. पुलिस मुख्यालय की ओर से मिले इस नये दिशा निर्देश के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तारी या छापेमारी के दौरान की जाने वाली मनमानी पर भी नकेल कसेगी.
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