धनबाद.
आइआइटी आइएसएम में जूलॉजी विभाग की ओर से दूसरे शताब्दी व्याख्यान का आयोजन सोमवार को किया गया. इसका विषय था ‘पृथ्वी पर जीवन का सामूहिक विनाश: अतीत, वर्तमान और भविष्य. इसमें प्रोफेसर सुनील वाजपेयी, प्रोफेसर (एचएजी), पृथ्वी विज्ञान विभाग, आइआइटी रुड़की और बिरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान, लखनऊ के पूर्व निदेशक ने व्याख्यान दिया. गोल्डन जुबली लेक्चर थिएटर में आयोजित इस व्याख्यान में प्रो. वाजपेयी ने अतीत की जैव विविधता और पर्यावरणीय परिवर्तनों को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया. बताया कि सामूहिक विनाश की घटनाएं पृथ्वी पर अल्प समय में बड़ी जैव विविधता की हानि का कारण बनती हैं. इतिहास में अब तक पांच प्रमुख सामूहिक विनाश की घटनाएं हुई हैं. इनमें ऑर्डोविशियन, डेवोनियन, पर्मियन, ट्रायसिक और क्रेटेशियस शामिल हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि पृथ्वी इस समय छठे सामूहिक विनाश होलोसीन या एंथ्रोपोसीन का सामना कर रही है, जो मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे आवास विनाश, प्रदूषण, प्रजातियों का अत्यधिक शोषण और जलवायु परिवर्तन से प्रेरित है. वर्तमान में प्रजातियों के विलुप्त होने की दर प्राकृतिक दर से 100 से 1,000 गुना अधिक है, जो वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा है.
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