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मुजफ्फरपुर : सफेद पाउडर को स्मैक बताकर पुलिस ने भेजा था जेल, 15 साल बाद अदालत ने किया बाइज्जत बरी

मुजफ्फरपुर शहर में 15 साल पहले सफेद पाउडर को स्मैक बताकर पुलिस ने दो लोगों को जेल भेज दिया था. फॉरेंसिक जांच के बाद यह साबित हुआ कि वह सफेद पाउडर सिर्फ पाउडर था, लेकिन दोनों ने जेल की सजा काटी और बाद में जमानत पर बाहर आ गए. 11 साल पहले जिस पाउडर को स्मैक बताकर दोनों को जेल भेजा गया, उसे एफएफएसएल जांच में साधारण पाउडर बताया गया, लेकिन पुलिस ने इस पर चुप्पी साधे रखी. जेल से निकलने के बाद, 12 साल तक कोर्ट में तारीख दर तारीख मामला चलता रहा. जब कोर्ट ने 2 साल पहले आरोपों का निर्धारण शुरू किया, तब पता चला कि वह पाउडर स्मैक नहीं था. कोर्ट ने दोनों को तलब किया, लेकिन वे डर के मारे कोर्ट नहीं पहुंचे. फिर वारंट और कुर्की के आदेश जारी किए गए, जिसके बाद दोनों ने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया. तब उनके वकील ने केस की फाइल देखी और पाया कि वह पाउडर सिर्फ साधारण पाउडर था, न कि स्मैक.इसके बाद लंबी बहस के बाद दोनों को बाइज्जत बरी कर दिया गया.

पुलिस ने भेजा था जेल

मुजफ्फरपुर के संजय सिनेमा रोड के निवासी अवधेश कुमार साह और सुधांशु कुमार को ब्रह्मपुरा थाना पुलिस ने 3 जून 2010 को स्मैक की बरामदगी दिखाकर जेल भेज दिया था. 2014 में पटना एफएसएल की रिपोर्ट में उस स्मैक को साधारण पाउडर बताया गया, लेकिन अभियोजन पक्ष चुप रहा और दोनों के घर की कुर्की का आदेश कोर्ट से जारी करा लिया गया. इस स्थिति में दोनों को 20 फरवरी को आत्मसमर्पण करना पड़ा. 15 साल बाद, स्मैक के स्थान पर पाउडर की रिपोर्ट आने पर बहस हुई और कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया.

पुलिस ने अवधेश के पास से 15 पुड़िया स्मैक और सुधांशु के पास सीरिंज मिलने का मामला दर्ज किया था. एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई और दोनों को जेल भेजा गया. वे छह महीने तक जेल में रहे और 5 जनवरी 2011 को हाईकोर्ट से जमानत मिली.

20 दिसंबर 2014 को पेश की गई एफएसएल रिपोर्ट

एफएसएल रिपोर्ट आने से पहले, पुलिस ने बिना रिपोर्ट का इंतजार किए हुए 29 जुलाई 2010 को चार्जशीट दाखिल कर दी. इसके बाद, कोर्ट ने 21 सितंबर 2010 को इस पर संज्ञान लिया. चार साल बाद, 20 दिसंबर 2014 को एफएसएल रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बरामद स्मैक को साधारण पाउडर बताया गया. फिर भी केस में तारीखें बढ़ती गईं.

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कोर्ट ने दिया राहत

कोर्ट ने 1 मार्च 2023 को आरोप तय करने के लिए सुनवाई की और दोनों को हाजिर होने के लिए बुलाया, लेकिन वे कोर्ट नहीं पहुंचे. इसके बाद वारंट और कुर्की के आदेश जारी किए गए. डर के मारे, दोनों ने 20 फरवरी को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद, उनके वकील ने केस की फाइल देखी और पाया कि जिसे स्मैक कहा गया था, वह केवल साधारण पाउडर था. बचाव पक्ष ने इस पर बहस की और कोर्ट ने दोनों को राहत दी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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