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वाहन उद्योग के इंजन बने गांव

पिछले वित्त वर्ष में देश के खुदरा बाजारों में यात्री और दोपहिया वाहनों की बिक्री में ग्रामीण क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन वित्तीय स्थिति में हिंदुस्तानीय गांवों की क्षमताओं के बारे में तो बताता ही है, इससे यह भी संभावना है कि देर-सबेर देश का ग्रामीण क्षेत्र ऑटोमोबाइल क्षेत्र की उम्मीदों का केंद्र बन सकता है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल्स एसोसिएशन (फाडा) के मुताबिक, 2024-25 वाहनों की बिक्री के लिहाज से लचीला रहा और इस दौरान यात्री वाहनों, दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि देखी गयी. पिछले वर्ष का मुख्य आकर्षण ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन रहा. दोपहिया वाहनों के क्षेत्र में ग्रामीण बाजारों में 8.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो शहरी क्षेत्र की वृद्धि (6.77 फीसदी) से अधिक रही. यात्री वाहन में शहरी क्षेत्र के 3.07 फीसदी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि 7.93 प्रतिशत रही. इस दौरान तिपहिया वाहनों की बिक्री में ग्रामीण क्षेत्र में 8.70 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि शहरी क्षेत्र में यह वृद्धि मात्र 0.28 प्रतिशत रही.

अलबत्ता इस अवधि में वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में तो कमी आयी ही, ग्रामीण क्षेत्रों से बढ़ी संभावनाओं के बावजूद ट्रैक्टरों की बिक्री भी घटी. हालांकि मार्च के शुरुआती तीन हफ्तों तक वाहनों की मांग सुस्त ही थी. इसका कारण खरमास बताया गया. लेकिन नवरात्रि, गुडी पड़वा और ईद की त्योहारी मांग समेत ऑटोमोबाइल कंपनियों की ओर से गाड़ियों के दामों पर दी गयी छूट, आने वाले दिनों में कीमत बढ़ने की आशंका, नये मॉडलों की लॉन्चिंग और बेहतर वेरिएंट की उपलब्धता के कारण मार्च के अंतिम सप्ताह में वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. बेशक मौजूदा वित्त वर्ष में नये मॉडल की लॉन्चिंग और इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ती रुचि से उम्मीद कुछ बढ़ी है, लेकिन मौसम विभाग द्वारा सख्त गर्मी की चेतावनी, सख्त ऋण नियम, महंगे फाइनेंसिंग माहौल, बढ़ी कीमतें, वैश्विक व्यापार तनाव, टैरिफ वार और शेयर बाजार की अस्थिरता से खरीदारों की भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं. इन सब का असर वाहन उद्योग पर पड़ने के आसार हैं और इसमें मध्यम वृद्धि की उम्मीद ही की जा रही है. हालांकि हिंदुस्तान जैसी विराट वित्तीय स्थिति में कोई एक ट्रेंड वाहनों की बढ़ती बिक्री का कारण बन सकता है. फिर चूंकि ग्रामीण हिंदुस्तान में विविध कारणों से समृद्धि आयी है और वहां का बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ है, ऐसे में वाहन क्षेत्र में इस साल भी ग्रामीण क्षेत्र में मांग ज्यादा हो, तो कतई आश्चर्य नहीं होगा.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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