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‘तेजी से बढ़ रहा सर्वाइकल कैंसर, बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी’ प्रभात खबर के कार्यक्रम में बोलीं डॉ रीना बरनवाल

धनबाद-नया विचार द्वारा चलाये जा रहे ‘स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार’ अभियान की कड़ी में शनिवार को नया विचार की टीम बीबीएमकेयू पहुंची. शहर की वरीय स्त्री चिकित्सक डॉ रीना बरनवाल ने छात्राओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व उनके निदान बताये. मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां दीं. इस दौरान छात्राएं भी अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूक दिखीं. उन्होंने चिकित्सक की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और संबंधित सवाल भी किये. अपनी स्वास्थ्य समस्याएं बतायीं. सबसे सामान्य सवाल पीरियड्स को लेकर था. छात्राओं ने पीएसओडी, मूड स्विंग होने, स्ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर भी सवाल किये. कार्यक्रम में बेटियों को पीसीओडी, सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर के साथ मोबाइल के साइड इफेक्ट की जानकारी दी गयी.

पीसीओडी के दौरान होता है हार्मोनल बदलाव

वर्तमान समय में बेटियों में पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है. पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होता है. इसके कारण मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है. पीसीओडी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें, पौष्टिक आहार लें, मेडिटेशन व योगा नियमित रूप से करें, तनाव व नकारात्मक विचार न पाले, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय न रहें. मेडिटेशन करें. साउंड स्लिप लें.

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी

हिंदुस्तान में सर्वाइकल कैंसर का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. हर आठ मिनट में एक स्त्री की मौत सर्वाइकल कैंसर से हो रही है. पहले शादीशुदा या उम्र दराज स्त्रीओं में यह कैंसर होता था. अब 35 साल की स्त्रीओं में भी कैंसर पाया जा रहा है. सर्वाइकल कैंसर पेपीलोमा वायरस से होता है. इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. नौ से 45 साल तक इसके पांच डोज लगाये जाते हैं. नौ से 14 साल में दो, 18 से 45 साल में तीन डोज लगते हैं. हर आठ में से एक स्त्री की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. स्त्रीओं में ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर से सबसे अधिक मौत होती है. ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए सेल्फ एक्जामिन के टिप्स दिये गये.

हरी सब्जियां खायें, फास्ट फूड से करें परहेज

स्त्रीओं को आयरन युक्त आहार के साथ विटामिन व मिनरल की जरूरत अधिक होती है. आयरन के लिए पालक, गुड़, खजूर, बीट, मोटा अनाज व आलू व सेब खायें. विटामिन सी के लिए नींबू, हरी मिर्च व आंवला का सेवन करें. गुड़ में नींबू का रस मिलाकर शरबत बनाकर सेवन करें. फास्ट फूड व जंक फूड से परहेज करें. पिज्जा, बर्गर, चाउमिन, पास्ता व कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल नहीं करें. इससे मोटापा, अनियमित मासिक, खून की कमी आदि समस्या होती हैं.

चिकित्सक ने दिये सुझाव

छात्राओं के सवालों का जवाब देते हुए डॉ रीना ने कहा कि पीरियड्स के समय स्वच्छता का ख्याल रखें. पीरियड्स आने के पहले पेट दर्द की समस्या होती है. अधिक दर्द होने पर चिकित्सक से सलाह लेकर दवा लें. माह के खास दिनों में स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, अन्यथा संक्रमण फैल सकता है. सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें और हर पांच-छह घंटे में उसे बदलें, पीरियड्स के पहले ह्वाइट डिस्चार्ज होता है, अगर यह ज्यादा हो, इंचिग हो रहा हो, तो अपने परिजन को बतायें. पौष्टिक व संतुलित आहार लें. नियमित योग करें. खूब पानी पीयें.

विभागाध्यक्ष ने की अभियान की सराहना

विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मुकुंद रविदास ने नया विचार के इस अभियान की सराहना की. कहा कि युवावस्था में बेटियों की कई समस्याएं होती हैं. चिकित्सक ने उपयोगी जानकारी देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया. चिकित्सक व नया विचार का बहुत आभार. कैरियर काउंसेलिंग के साथ हेल्थ काउंसेलिंग भी जरूरी है.

ऐसे कार्यक्रम से जागरूक होंगी बेटियां

हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ रीता सिंह ने कहा मौजूदा समय में बेटियों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता जरूरी है. नया विचार की ओर से बेटियों के लिए हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाना प्रशंसनीय है. इस उम्र में बेटियों में झिझक होती है. ऐसे कार्यक्रमों से उनकी समस्या का समाधान होगा, झिझक भी मिटेगी.

बेटियों का मार्गदर्शन कर रहा नया विचार

इडीएम डिपार्टमेंट की सहायक प्राध्यापक डॉ गिन्नी सिंह ने कहा कि अभी की बेटियां जागरूक हैं. अपनी समस्या शेयर करती हैं. चिकित्सक ने युवावस्था में होनेवाली परेशानी व उसके निराकरण की अच्छी जानकारी दी. नया विचार की मुहिम सार्थक है. ऐसे आयोजन से बच्चियों में अपनी बातें रखने का कांफिडेंस आता है. धन्यवाद नया विचार.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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