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Ahoi Ashtami Vrat 2025: पहली बार कर रही हैं संतान के लिए अहोई अष्टमी का व्रत? जानें उपवास के सभी नियम, तिथि और माता का प्रिय भोग

Ahoi Ashtami Vrat 2025: अहोई अष्टमी का पर्व हिंदुस्तान में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन विवाहित स्त्रीएं संतान प्राप्ति की कामना और माताएं अपनी संतान की लंबी आयु एवं सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं. पर्व के दौरान स्त्रीएं व्रत रखकर माता अहोई की आराधना करती हैं. व्रत के समय कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना जरूरी होता है ताकि पूजा बिना किसी गलती के पूर्ण और सफल हो.

अहोई अष्टमी कब है?

अहोई अष्टमी हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. साल 2025 में यह पर्व 13 अक्टूबर (सोमवार) को मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होगा और 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगा. इसलिए अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा.

माता अहोई को किस चीज का भोग लगाएं?

माना जाता है कि इस दिन माता अहोई को पूड़ी, मालपुआ, चावल और दूध का भोग अर्पित करना शुभ होता है.

व्रत के दौरान क्या व्रती फलाहार कर सकती हैं?

अहोई अष्टमी के पावन दिन स्त्रीएं निर्जला व्रत रखती हैं, मतलब इस दिन व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अनाज, फल, दूध या जल ग्रहण नहीं किया जाता है.

व्रत का पारण कब किया जाता है?

व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है. वहीं इसका समापन रात में तारों के दर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद किया जाता है. ध्यान रखें, अर्घ्य देने से पहले पारण न करें. ऐसा करने पर व्रत अधूरा माना जाता है, इसलिए अर्घ्य देने के बाद ही पारण करें.

अहोई अष्टमी वाले दिन व्रती को सबसे पहले क्या करना चाहिए?

अहोई अष्टमी वाले दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. शाम के समय माता अहोई की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करके विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए और व्रत कथा का पाठ करना चाहिए.

क्या अहोई अष्टमी के दिन दान-पुण्य करना चाहिए?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया पुण्य दोगुना फल देता है.

व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन व्रती को क्रोध नहीं करना चाहिए और न ही अपशब्दों का प्रयोग करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. इसके अलावा, व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से भी बचना चाहिए.

पूजा संपन्न होने के बाद क्या करना चाहिए?

पूजा समाप्त होने के बाद शाम के समय व्रती को अपनी सास या घर की बड़ी-बुजुर्ग स्त्री को कपड़े या उपहार देना चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. नया विचार किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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