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पाकिस्तान में लागू होगा आर्टिकल 245, आर्मी-रेंजर उतरेंगे जमीन पर, बदल जाएंगे नियम, लेकिन क्या इतिहास भी बदलेगा?

एक बंटवारा हुआ, नक्शे पर एक लकीर खींची गई और दो मुल्क वजूद में आ गए

Article 245: दुनिया के अहले सफे पर 1947 में एक मुल्क तकसीम हुआ, नाम पड़ा पाकिस्तान. बनाने वालों ने करोड़ों खून की कुर्बानी पर अपनी जिद पूरी की और एक महान देश को छिन्न भिन्न कर दिया. इस चाह में कि कौम की तरक्की और इज्जत तभी बरकरार रहेगी जब हम अलग होंगे. लेकिन 20वीं सदी में दहशत की राख अब तक वहां उड़ रही है. हर साल मासूमों की जिंदगी बिना किसी निशान के अतीत बनते जा रहे है और हिंदुस्तानीय प्रायद्वीप में शांति की बाट जोहती रूहें दुनिया से रुखसत हो रही हैं. पाकिस्तान की तरक्की का आलम ये है कि उसे एक अदद अंतर्राष्ट्रीय आयोजन करवाने के लिए अपने आईन (संविधान) की सबसे कड़े नियम को लगाना पड़ रहा है.

पाकिस्तान में हिंदुस्तान की ही तरह क्रिकेट का खुमार सबसे ज्यादा है. लेकिन दो विश्वकप (वनडे और टी20) जीत चुके इस देश को आईसीसी ने किसी आयोजन के लिए 28 साल बाद काबिल माना है. यानी 1996 के विश्वकप के बाद उसे दोबारा अब चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी का अवसर मिला है. लेकिन वह भी आधा-अधूरा, क्योंकि हमसाया मुल्क हिंदुस्तान ने अपनी टीम को खुद से अलग हुए देश में अपनी टीम भेजने से मना कर दिया है. कारण बना आतंक. पाकिस्तान परस्त आतंकवाद की मार से त्रस्त हिंदुस्तान ने 2006 के बाद से जिन्ना के बनाए ‘जन्नत’ में कदम नहीं रखा है. श्रीलंका के खिलाड़ियो के ऊपर 2009 में हुए जानलेवा हमले के बाद से उसका नाम और भी खराब हो गया. एक दशक तक कई टीमों ने वहां का दौरा नहीं किया. लेकिन अब ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने अपने इतिहास में अब बदलाव करने की ठानी है.

चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान ने अपने संविधान के अनुच्छेद 245 को लागू करने का फैसला किया है. यह पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 1997 के तहत की जा रही है. क्योंकि उसे अब अपना नाम बेहतर करना है. पाकिस्तान के न्यूज टीवी जियो टीवी के अनुसार इस टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान अपनी आर्मी और रेंजर्स की तैनाती भी करेगा, इसके लिए केंद्रीय प्रशासन से अनुमति मिल गई है. शहबाज शरीफ की प्रशासन कुल 12,664 अधिकारियों को तैनात करेगी. इनमें से 7,618 अधिकारी लाहौर में तैनात होंगे, जबकि 4,535 अधिकारी रावलपिंडी में सुरक्षा का प्रबंधन करेंगे. इसके अलावा, विशेष शाखा के 411 अधिकारी परिचालन दक्षता बढ़ाएंगे.

पाकिस्तान का अनुच्छेद 245 सेना की तैनाती और उसकी जिम्मेदारियों से जुड़ा है. यह प्रशासन को आंतरिक सुरक्षा और बाहरी खतरों से निपटने के लिए सेना बुलाने का अधिकार देता है. इसके तहत, सेना देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम कर सकती है. यदि सेना को किसी क्षेत्र में तैनात किया जाता है, तो वहां नागरिक अदालतों के अधिकार सीमित हो सकते हैं. पाकिस्तानी संविधान में अनुच्छेद 17 के तहत प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार भी बहुत हद तक सीमित हो जाते हैं. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भी इसे लगाया गया था.

पाकिस्तान में इसका इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी जैसे आयोजन के लिए भी उसे काफी मेहनत करनी पड़ रही है. 1947 में देश के गठन के बाद भारी हिंसा हुई थी और 1951 के बाद से कई बार सेना ने नियंत्रण अपने हाथ में लिया. पाकिस्तान में 1958-1971, 1977-1988 और 1999-2008 के दौरान सैन्य शासन रहा, जिससे कई दशक मिलिट्री रूल के अधीन गिने जाते हैं. हाल के महीनों में, वहां के राजनेता और नेता फिर से सैन्य शासन की आशंका जता रहे थे. लेकिन चुनाव के बाद इमरान खान की हार ने माहौल कुछ हद तक शांत रखा है. लेकिन यह चिंगारी कब सुलग जाए कहा नहीं जा सकता.

पाकिस्तान के मशहूर शायर हबीब जालिब ने मुल्क की इसी व्यवस्था पर तंज करते हुए एक शेर लिखा, जो काफी प्रसिद्ध रहा था-

हुक्मरां हो गए कमीने लोग
ख़ाक में मिल गए नगीने लोग
हर मुहिब्ब-ए-वतन ज़लील हुआ
रात का फ़ासला तवील हुआ

आमिरों के जो गीत गाते रहे
वही नाम-ओ-दाद पाते रहे
रहज़नों ने रहज़नी की थी
रहबरों ने भी क्या कमी की थी

यह शायरी समाज की सच्चाई को बयां करती है, जहां सत्ता में बैठे लोग बेईमान हो चुके हैं और ईमानदार लोग हाशिए पर चले गए हैं. देशभक्तों को अपमान सहना पड़ा और अंधकार की रात और लंबी हो गई. जो लोग ताकतवरों की प्रशंसा करते रहे, उन्हें ही शोहरत और सम्मान मिला. लुटेरों ने अपनी लूट जारी रखी, लेकिन सबसे बड़ा दुख यह था कि मार्गदर्शकों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. पाकिस्तान का यह हश्र शायद इसी चापलूसी और जिद का फलसफा है.

खैर, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) हाल ही में अंतिम समय तक तैयारियों को अधूरा छोड़ने के लिए आलोचनाओं का शिकार हुआ था. लेकिन शुक्रवार को भव्य उद्घाटन समारोह में पुनर्निर्मित गद्दाफी स्टेडियम को जनता के लिए खोल दिया. अगले दिन 8 फरवरी को पाकिस्तान ने पहले मैच में न्यूजीलैंड का सामना किया. त्रिकोणीय टूर्नामेंट के पहले मैच में उन्हें न्यूजीलैंड के हाथों 78 रनों से हार का सामना करना पड़ा. यह सारी कवायद चैंपियंस ट्रॉफी को सुरक्षित करवा लेने के लिए है ताकि किसी तरह इस मुल्क में शांति की बहाली हो सके. पाकिस्तान अपने इतिहास के नाजुक मोड़ पर खड़ा है, अगर यह आयोजन शांत और सुरक्षित बीत गया तो वाहवाही मिलेगी और अगर कोई चूक हुई तो मुल्क की डगर और भी मुश्किल होने वाली है.

इस टूर्नामेंट में मेजबान और गत चैंपियन पाकिस्तान 19 फरवरी को न्यूजीलैंड के खिलाफ कर्टेन-रेजर के दौरान कराची के नेशनल बैंक स्टेडियम में चैंपियंस ट्रॉफी 2025 अभियान की शुरुआत करेगा. इसके बाद पाकिस्तानी टीम दुबई जाएगी, जहां 23 फरवरी को उसका मुकाबला चिर प्रतिद्वंद्वी हिंदुस्तान से होगा. इस टूर्नामेंट में हिंदुस्तान अपना पहला मुकाबला 20 फरवरी को बांग्लादेश से करेगा. आईसीसी के हाथों में बंद क्रिकेट की नियति हर बार यही तय करती है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में रहें और इस बार भी यही हुआ है.

आठ टीमों का यह टूर्नामेंट, जिसमें 15 मैच शामिल हैं, 19 फरवरी से 9 मार्च तक पाकिस्तान और दुबई में तीन स्थानों – कराची, लाहौर और रावलपिंडी में चलेगा. आठ टीमों को दो समूहों में बांटा गया है. ग्रुप ए में पाकिस्तान, हिंदुस्तान, न्यूजीलैंड और बांग्लादेश शामिल हैं. जबकि ग्रुप बी में अफगानिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. पाकिस्तान कुल 10 मैचों की मेजबानी करेगा, जबकि हिंदुस्तान के तीनों ग्रुप-स्टेज मैच और पहला सेमीफाइनल सहित चार मैच दुबई में स्पोर्ट्से जाएंगे. टूर्नामेंट का फाइनल लाहौर में स्पोर्ट्सा जाना है, लेकिन अगर हिंदुस्तान क्वालीफाई करता है तो यह भी दुबई में ही होगा. इसके अलावा, मौसम संबंधी किसी भी बाधा से निपटने के लिए एहतियात के तौर पर फाइनल मुकाबले के लिए एक रिजर्व दिन भी आवंटित किया गया है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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