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Bobby Aur Rishi Ki Love Story Review:दिल को नहीं छूती बल्कि दिमाग पर बोझ लगती है बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी

फिल्म – बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी

निर्माता -ज्योति देशपांडे 

निर्देशक – कुणाल कोहली 

कलाकार -कावेरी कपूर, वर्धन पुरी,लिलिएट दुबे और अन्य 

प्लेटफार्म -डिज्नी प्लस हॉटस्टार 

रेटिंग – डेढ़ 

bobby aur rishi ki love story review :स्टारकिड की बढ़ती फेहरिस्त में निर्देशक शेखर कपूर और अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति की बेटी कावेरी कपूर का नाम डिज्नी प्लस हॉटस्टार की फिल्म बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी से जुड़ गया है.फिल्म के निर्देशक कुणाल कोहली हैं, जो हिंदी फिल्मों में फना, मुझसे दोस्ती करोगे,हम तुम जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. इस बार भी वह एक और रोमांटिक कॉमेडी फिल्म लेकर आये हैं और कहने को उन्होंने  इस बार जेन जी के प्यार को अपनी  कहानी का आधार बनाया है.लेकिन कहानी और ट्रीटमेंट में वह कुछ भी नयापन नहीं जोड़ पाए हैं, परफॉरमेंस के लिहाज से भी फिल्म कमजोर रह गयी है, जिस वजह से वैलेंटाइन वीक में रिलीज होने के बावजूद यह लव स्टोरी फिल्म दिल को छूने के बजाय दिमाग पर बोझ ज्यादा साबित होती है.

हम तुम की याद दिलाती है कहानी 

कहानी में  ट्विस्ट के तौर पर शुरुआत में यह दिखाया गया है कि कपल के तौर पर बॉबी (कावेरी )और ऋषि (वर्धन पुरी ) मैरिज काउंसलर  से मिलकर बात कर रहे हैं क्योंकि उनका रिश्ता बुरे दौर से गुजर रहा है.क्या उनकी शादी टूटने वाली है. इस सवाल का जवाब जानने के लिए कहानी अतीत में चली जाती है, जब ये पहली बार मिले थे. बॉबी (कावेरी)  ग्लासगो से कार्डिफ़ की जर्नी पर है, लेकिन खराब मौसम की वजह से फ्लाइट को  हीथ्रो की ओर मोड़ दिया जाता है  और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे से हम तुम तक अब अगली फ्लाइट एक दिन बाद है.ऐसे में हीरोइन को  हीरो से मिलना ही है. वहां उसकी मुलाकात ऋषि (वर्धन पुरी )से होती है, जो पहली ही नजर में उसे पसंद करने लगता है. इस जेन जी लव स्टोरी में भी वही पुराना फॉर्मूला अपनाया गया गया है. शुरू में बॉबी, ऋषि की मौजूदगी को पसंद नहीं करती है लेकिन कुछ मिनटों के बाद वह उसके साथ को पसंद करने लगती है. दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताते हैं लेकिन बॉबी ऋषि के साथ किसी रिलेशनशिप के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वह हाल ही में ब्रेकअप से गुजरी  है और वे अलग हो जाते हैं। कहानी दो साल बाद शुरू होती है और फिर एक दूसरे से वह मिलते हैं और उनके बीच फिर वही कनेक्शन बन जाता है, लेकिन कहानी में ट्विस्ट ये है कि ऋषि की सगाई होने वाली है. ऋषि की सगाई कैसे टूटती है और बॉबी और ऋषि एक हो जाते हैं और फिर उनकी शादी बचती है या टूटती है. यही आगे की कहानी है.

फिल्म की खामियां और खूबियां

कुणाल कोहली की पिछली रोमांटिक फिल्मों को देखें तो प्रेमियों के बीच मिलने -बिछड़ने का सिलसिला जारी रहता है. इस ट्रीटमेंट को इस फिल्म में भी रखा गया है. कहानी की शुरुआत में ही दोनों कपल काउंसलिंग के लिए पहुंचे हैं और फिल्म के आखिर में उन्हें एक होते दिखाया गया है. काउंसलिंग का ट्विस्ट या कहे फिल्म से जुड़ा कॉन्फ्लिक्ट  एकदम सतही रह गया है. कोई ठोस वजह नहीं दी गयी है.इसके अलावा अपोजिट अट्रैक्ट वाला फार्मूला कहानी में बहुत ही रिपीट सा रह गया है.अब तक 90 के दशक  की कई फिल्मों में एक प्रैक्टिकल तो एक एक इमोशनल अप्रोच रखने वाले कपल को दिखाया जा चुका है. फिल्म फर्स्ट हाफ में हम तुम की याद दिलाती है.फिल्म में लॉजिक की भी  कदम कदम पर कमी है. ऋषि फीमेल वाशरूम में क्यों था. इसका जवाब फिल्म में नहीं दिखाया गया है. क्या हीरो को हीरोइन से अलग तरीके से मिलवाना था. बस इसलिए यह आईडिया सोच लिया गया। फिल्म के  शीर्षक का कनेक्शन ऋषि कपूर से है. फिल्म में ऋषि और बॉबी बताते हैं कि उनदोनों के पिता राज कपूर के फैन हैं इसलिए उन्होंने उनका नाम ऐसा रखा है, लेकिन राज जुत्शी का किरदार बॉबी नाम पर जिस तरह रिएक्ट करता है.वह थोड़ा अजीबोगरीब लगता है,जबकि राज कपूर की यादगार फिल्मों में बॉबी का नाम है ,फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो  कहानी की तरह वह भी प्रभाव नहीं छोड़ते हैं. वे कहानी को आगे नहीं बढ़ाते हैं बल्कि वह फिल्म की लम्बाई को बढ़ाते हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी फिल्म के साथ न्याय करती है.फिल्म के अच्छे पहलुओं में इसकी लम्बाई है. फिल्म मात्र डेढ़ घंटे  की है. 

परफॉरमेंस भी रह गए हैं सतही 

अभिनय की बात करें तो वह कावेरी कपूर की डेब्यू फिल्म है. वह फिल्म में बहुत प्यारी दिखती हैं , लेकिन अभिनय की बात करें तो उन्हें अभी खुद पर काम करने की जरूरत है. वर्धन पुरी की कोशिश अच्छी रही है लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट ने उन्हें कुछ खास करने का मौक़ा नहीं दिया है. बाकी के कलाकार भी कुछ ख़ास फिल्म में नहीं जोड़ पाएं हैं.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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