संवाद कार्यक्रम में स्त्रीओं ने साझा किये अपने अनुभव
सहरसा. कभी घर के चूल्हे-चौके तक सीमित रहने वाली ग्रामीण स्त्रीएं अब आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते हुए उद्यमिता की मिसाल बन रही है. बिहार प्रशासन द्वारा चलायी जा रही योजनाओं एवं प्रोत्साहन ने इन स्त्रीओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाये हैं. प्रशासन ने स्त्रीओं को उद्यमी बनाने के लिए वित्तीय सहयोग, प्रशिक्षण एवं अन्य संसाधनों की व्यवस्था की है. जिससे आज कई स्त्रीएं अपने व्यवसाय स्थापित कर रही हैं. इन व्यवसायों में खाद्य प्रसंस्करण, सिलाई-कढ़ाई, फर्नीचर निर्माण, पेपर प्लेट निर्माण जैसे कार्य प्रमुख हैं. इन स्त्रीओं को प्रशासनी योजनाओं के तहत ना केवल आर्थिक सहायता दी गयी है. बल्कि उन्हें प्रशिक्षित कर उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाया गया है. परिणामस्वरूप ये स्त्रीएं अपने घर की चौखट से बाहर निकलकर उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता पूर्वक कदम रख रही है. स्त्री संवाद कार्यक्रम के दौरान कई स्त्री उद्यमियों ने अपने अनुभव साझा किये. सत्तरकटैया प्रखंड की रंभा देवी ने बताया कि कैलाश जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. उन्होंने समूह से कम ब्याज दर पर ऋण लेकर सिलाई एवं फर्नीचर निर्माण का व्यवसाय शुरू किया. इसके लिए उन्हें समूह से वित्तीय सहयोग के साथ प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन भी मिला. आज वह इस व्यवसाय से सालाना चार लाख रुपये से अधिक की आमदनी कर रही हैं. रंभ की तरह ही जिले की अन्य स्त्रीएं भी प्रशासनी योजनाओं का लाभ लेकर सफलतापूर्वक अपने व्यवसाय चला रही हैं इन व्यवसायों ने ना केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार किया है.
इन स्त्रीओं का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें उद्यम स्थापित करने में महत्वपूर्ण मदद की है, लेकिन उनके उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. उनके उत्पादों को सही बाजार तक पहुंच मिले तो उनका व्यवसाय और भी तेजी से विस्तार कर सकता है. यह प्रयास स्त्री सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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