श्री विश्वकर्मा ने कहा कि जमींदारी प्रथा से भी बदतर स्थिति बनी हुई है. प्रशासन से लेकर वरिष्ठ अधिकारी के आदेश पर भी कार्रवाई नहीं होती है और नै तो प्रशासन और ना वरिष्ठ अधिकारी इसपर ध्यान देते हैं. ऐसी शिकायत पर वरिष्ठ अधिकारी भी सिर्फ आवेदन को संबंधित पदाधिकारी को भेजकर अपना दायित्व समाप्त कर रहे हैं. कहा कि प्रशासन तथा राजस्व विभाग भी मानती है कि म्यूटेशन मामले को जानबूझकर परेशान की नीयत से खारिज किया जाता है. इतना ही नहीं प्रखंड व अंचल से आम-अवाम को जो प्रशासनी सेवा उपलब्ध होना चाहिए, वह नहीं मिल रही है. कहा कि प्रशासन स्वयं मान रही है कि राज्य में 20 लाख म्यूटेशन में से 10 लाख खारिज किये गये हैं. इस पर भी खारिज से संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होना आमलोगों के साथ अन्याय है. उन्होंने जनहित में प्रशासन द्वारा निर्धारित समय सीमा व सेवा के अधिकार कानून का पालन करवाने की मांग की है.
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