Champions Trophy 2025: पाकिस्तान का चैंपियंस ट्रॉफी में सफर समाप्त हो गया है. सोमवार को न्यूजीलैंड के हाथों बांग्लादेश की हार के बाद हिंदुस्तान भी सेमीफाइनल में पहुंच गया. 29 साल बाद मेजबान बने पाकिस्तान का सफर बेहद निराशाजनक रहा, उसे न्यूजीलैंड और हिंदुस्तान के खिलाफ दो मैचों में लगातार हार मिली. पाकिस्तान 2009 के बाद पहली ऐसी टीम बनी है, जो होस्ट होते हुए ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गया हो. लेकिन पाकिस्तान की हार में केवल ये कारण नहीं रहे, अन्य कारकों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई. आइये चर्चा करते हैं, उन पांच कारणों की जो बनीं पाकिस्तान की हार के कारण.
एक स्थाई कोच नहीं चुन पाया
पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान ने 26 चयनकर्ता, 8 कोच और 4 कप्तान बदले हैं, जिससे टीम स्थायित्व और मजबूती हासिल करने में नाकाम रही. गैरी कस्टर्न, जैसन गिलेस्पी के बाद आकिब जावेद को उसकी टीम की कमान दी गई, लेकिन अंत समय में उनका यह दांव नहीं काम आया. इतना ही नहीं एक टीवी शो के दौरान वसीम अकरम ने बताया कि पाकिस्तान की जूनियर टीम को सेलेक्ट करने वाले दल में कोई अनुभवी खिलाड़ी नहीं है. आकिब जावेद केवल 5 महीने पहले कोच बने थे.
पिच की समस्या
पाकिस्तान ने पिछले कुछ समय में टेस्ट मैचों पर ज्यादा ध्यान दिया. उसने लाल गेंद वाली पिच पर अधिक स्पोर्ट्स स्पोर्ट्सा. 2023 में पिछले विश्वकप के बाद उसने एकदिवसीय मैच नहीं स्पोर्ट्से, हालांकि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में उसकी सफलता धरी रह गई जब न्यूजीलैंड ने उसे ट्राई नेशन सीरीज में पटखनी दी. इसमें पिच का बड़ा योगदान रहा, पीसीबी ने स्पिन पिचों पर इंग्लैंड को हराया, जिससे उसका कांफिडेंस हाई था, लेकिन इस फॉर्मेट के लिए उसकी टीम तैयार नहीं हो पाई.
गलत चयन निर्णय आत्मविश्वास नहीं पैदा कर सके
आकिब जावेद चयन समिति का भी हिस्सा थे, जिसने चैंपियंस ट्रॉफी से ठीक पहले टीम में बदलाव किए. चोटिल सईम अयूब की जगह किसी अन्य खिलाड़ी को शामिल करना मजबूरी थी, लेकिन 2023 वनडे वर्ल्ड कप के स्टार अब्दुल्ला शफीक को ड्रॉप कर उनकी जगह फखर जमान को शामिल किया गया. इसके बाद पहले मैच में उनके चोटिल होने के बाद इमाम उल हक को लाना पड़ा.
टीम के प्रमुख तेज गेंदबाज शाहीन अफरीदी, हारिस रऊफ और नसीम शाह अपने रणनीति को अमल में लाने में नाकाम रहे. हिंदुस्तान के खिलाफ यह गेंदबाजी आक्रमण फीका नजर आया. इसके अलावा दुबई जैसी धीमी पिच पर एकमात्र स्पिनर अबरार अहमद को लेकर उतरे, जबकि वहीं हिंदुस्तान 5 स्पिनर्स के साथ उतरा था. उन्होंने नोमान अली और साजिद खान में से किसी पर भरोसा नहीं जताया.
बाबर आजम की नाकाम पारियां
पाकिस्तान का सारा दारोमदार बाबर आजम के ऊपर रहा. लेकिन बाबर आजम को ओपनिंग कराया गया, जिससे उनका रहा सहा फॉर्म भी जाता रहा. बाबर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले मैच में 90 गेंदों में 52 डॉट बॉल स्पोर्ट्सीं, उनकी धीमी पारी ने हार में बड़ा योगदान दिया. वहीं हिंदुस्तान के खिलाफ भी वे ज्यादा सफल नहीं रहे, केवल 24 रन बनाकर उनका बल्ला खामोश हो गया. पाकिस्तान को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन वे खरे नहीं उतरे.
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मोहम्मद रिजवान की कप्तानी
मोहम्मद रिजवान अपनी बल्लेबाजी में तो फेल रहे ही, उन्होंने नेतृत्व में भी बेड़ा गर्क कर दिया. टीम के खिलाड़ियों को समय-समय पर लताड़ना. अपने मजहबी कर्मों को स्पोर्ट्स से जोडना. बेवजह की नौटंकी में उतरना, मसलन उन्होंने हिंदुस्तान से मैच के दौरान मेडिकल टीम बुला ली थी. इतना ही उन पर गुटबाजी का भी आरोप लगा कि वे अच्छा प्रदर्शन न कर पाने वाले खिलाड़ियों को बाहर नहीं कर सके.
गेंदबाजों का लचर प्रदर्शन
पाकिस्तान के गेंदबाजों ने विकेट तो नहीं निकाले, उन्होंने रन देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. शाहीन शाह तो न्यूजीलैंड और हिंदुस्तान के खिलाफ सबसे ज्यादा इकॉनमी वाले गेंदबाज रहे. अफरीदी के अलावा नसीम शाह और हारिस राऊफ भी कोई प्रभाव डालने में विफल रहे. इसके अलावा पाकिस्तान निचले क्रम में ऑलराउंडर की कमी से भी जूझता रहा. शीर्षक्रम के न चलने पर लोअर ऑर्डर में कोई भी चल नहीं सका.
अब बांग्लादेश के खिलाफ औपचारिक मुकाबला
पाकिस्तान अब अपना अंतिम मुकाबला 27 फरवरी को बांग्लादेश के खिलाफ रावलपिंडी में स्पोर्ट्सेगा, जो केवल एक औपचारिकता बनकर रह गया है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और टीम प्रबंधन को इस असफलता से सीख लेते हुए भविष्य के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी. पाकिस्तान 16 साल बाद ऐसी टीम बनी जिसने होस्ट होते हुए भी ग्रुप स्टेज में बाहर हुआ है. आखिरी बार दक्षिण अफ्रीका 2009 में ऐसे हारकर बाहर हुआ था. फिलहाल इस टूर्नामेंट में अभी 5 ग्रुप स्टेज के मैच होने हैं, इसके अलावा एक सेमीफाइनल मैच भी होना है, ऐसे में पाकिस्तान के सामने दर्शकों को मैदान पर ला पाना भी बड़ी चुनौती होगी.
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