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क्या है Vienna Convention, जिसने अफगानी दूतावास में महिलाओं की एंट्री बैन पर मोदी सरकार के हाथ बांध दिए?

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Vienna Convention on Diplomatic Relations 1961: अफगानिस्तानी तालिबान प्रशासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी हिंदुस्तान दौरे पर आए हैं. हिंदुस्तान और अफगानिस्तान आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में अग्रसर हैं और संभावना है कि हिंदुस्तान, अपना दूतावास अफगानिस्तान में 2021 के बाद फिर से खोल दे. हिंदुस्तान दौरे के दौरान दिल्ली में मुत्ताकी का प्रेस काॅन्फ्रेंस आयोजित किया गया, लेकिन इस आयोजन को लेकर दिल्ली में बवाल मच गया और पूरा विपक्ष मोदी प्रशासन को घेरने लगा और प्रशासन को स्त्री विरोधी बताने लगा.

दरअसल हुआ यह कि अफगानिस्तान के दूतावास में स्त्री पत्रकारों को एंट्री नहीं दी. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने मोदी प्रशासन को घेरा और कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि हिंदुस्तान में स्त्री-पुरुष के अधिकार एक समान हैं, उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होता है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान भी जारी कर दिया है कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है. यहां यह जानना जरूरी है कि जिस देश में दूतावास होता है वहां की प्रशासन दूतावास के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है. आखिर ऐसा क्यों है?

क्या किसी भी देश के दूतावास में उनका अपना कानून चलता है?

जब किसी देश में कोई दूतावास खोला जाता है, तो वह अंतरराष्ट्रीय कानून वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (1961) के अनुसार काम करता है. यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून है, जिसे दुनिया के लगभग सभी देशों ने स्वीकार किया है, जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल है. वियना कन्वेंशन किसी भी दूतावास को सुरक्षित करने के लिए उसे कुछ विशेषाधिकार देता है, ताकि दूतावास सुरक्षित रहे और अपना काम कर सके. वियना कन्वेंशन द्वारा दिए गए अधिकार की वजह से यह सोचना कि सभी दूतावास हिंदुस्तानीय कानून से परे हैं यह पूरी तरह सही नहीं है. कोई भी दूतावास हिंदुस्तानीय भूमि पर होता है, इसलिए उसपर हिंदुस्तान का कानून लागू है, हां यह बात सही है कि उन कानूनों को लागू करवाने के लिए हिंदुस्तान प्रशासन दूतावास के अधिकारियों को बाध्य नहीं कर सकती है.

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 क्या है?

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस विश्व के तमाम देशों के बीच राजनयिक संबंधों को बेहतर और न्यायपूर्ण बनाने के वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (1961) बनाया गया था. इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों में से सबसे सफल और मजबूत कानून माना जाता है. इस कानून में ऐसे कुछ प्रावधान किए गए हैं, जो दूतावास को विशेष स्थान प्रदान करते हैं और उसे एक तरह से सुरक्षित भी करते हैं.

इस बारे में नया विचार के साथ बात करते हुए रिटायर्ड राजदूत अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि कोई भी दूतावास एक संप्रभु देश का हिस्सा होता है. वहां की गतिविधियों में हिंदुस्तान प्रशासन हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. तालिबान की विचारधारा स्त्रीओं को लेकर किस तरह की यह सभी जानते हैं और ये उनकी समस्या है. वियना कन्वेंशन एक दूतावास को किसी भी तरह के उत्पीड़न से भी बचाता है. जहां तक बात हिंदुस्तान प्रशासन की है, तो जब मुत्ताकी दूतावास से बाहर थे और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के कार्यक्रम में स्पीच दे रहे थे, तो वहां कई स्त्रीएं उपस्थित थीं और उन्होंने सबसे बात भी की. जैसे हिंदुस्तान का दूतावास किसी देश में होता है, तो वहां हम अपने कानून चलाते हैं, लेकिन साथ ही यह कोशिश भी करते हैं कि किसी दूसरे देश के कानून का उल्लंघन ना हो.

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वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 की खासियत क्या है?

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस, 1961 दो देशों के राजनयिक संबंधों को बेहतर बनाता है. इस अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार शक्ति संतुलन स्थापित किया गया है, ताकि किसी देश में कोई दूतावास और उसके अधिकारी सुरक्षित रहें.

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 का उद्देश्य क्या है?

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 किसी देश में एक दूतावास को सुरक्षित करता है और दो देशों के बीच संबंध को मजबूत बनाता है.

क्या हिंदुस्तान वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 का हिस्सा है?

हां, हिंदुस्तान वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 का हिस्सा है और वह इस अंतरराष्ट्रीय कानून को अपने यहां मान्यता देता है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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