गर्भवती स्त्रीएं, बुजुर्ग और शिशु हैं परेशान
रात में पानी लाने के दौरान जंगली जानवरों का रहता है भयरामशरण शर्मा
इचाक. डाढ़ा पंचायत का करमटांड़ गांव व पहाड़ों के बीच बसा है. इस गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं. आजादी के 78 साल बाद भी ग्रामीण मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं. ऊपर टोला में इन दिनों पीने के पानी की गंभीर समस्या है. एक चापानल है, जो खराब हो गया है. इसी चापानल से लोग पानी पीते थे. इस टोले की केली देवी, फुलवा देवी, बिकिनी देवी, गीता देवी, कलवा मौसामात, सुनीता देवी, दमन देवी, प्रतिमा देवी, कविता देवी, कलावती देवी, शीला देवी, मीना देवी, शांति देवी, कविता देवी, धनवारी देवी, कुंती देवी ने बताया कि दूर से पानी लाकर हम सब ग्रामीण प्यास बुझाते हैं. खास कर गर्भवती स्त्रीएं, बुजुर्ग और छोटे शिशु इस परेशानी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. स्त्रीओंं ने बताया कि अगर घर में पानी खत्म हो जाये, तो रात को नदी से पानी लाना पड़ता है. यह गांव पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है, जिससे दिन और रात जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है. स्त्रीओंं का कहना है कि दिन में तो सावधानी बरती जा सकती है, लेकिन रात में घरों में जानवरों के प्रवेश का डर बना रहता है. शीला देवी, मीना देवी, शकुंतला देवी, खुशबू देवी, फुलवारी देवी, पूजा देवी, मीना देवी, केदार तुरी,महावीर तुरी, फनी तुरी, निर्मल तुरी, राजेंद्र तुरी, पंकज तुरी समेत अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन से सड़क किनारे और बिजली के खंभों पर लाइट लगाने की मांग की है.
श्मशान घाट के लिए रास्ता नहीं
इचाक. श्मशान घाट तक जाने के लिए सड़क न होना भी ग्राम वासियों के लिए गंभीर समस्या है. अंतिम संस्कार के लिए शव को लेकर खेतों के बीच से गुजरना पड़ता है. यदि खेत में फसल लगी हो, तो शवयात्रा निकालना और मुश्किल हो जाता है.
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