Garud Puran: गरुड़ पुराण एक धार्मिक ग्रंथ है जो मृत्यु, कर्म, और पुनर्जन्म से जुड़े विषयों पर प्रकाश डालता है. इसमें वर्ण व्यवस्था और जाति के नियमों का पालन अनिवार्य बताया गया है. गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से इंटरकास्ट मैरिज को एक तरह का सामाजिक और धार्मिक नियमों के उल्लंघन को अधर्म कहा गया है, जिससे जन्मों-जन्म तक पाप भोगना पड़ सकता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, सामाजिक और धार्मिक नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद अनेक यम यातनाओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे व्यक्ति को नरक में भेजा जाता है, जहां उसे तप्त लोहे के शूलों से भेदा जाता है, खौलते तेल में डाला जाता है और क्रूर यमदूतों द्वारा पीड़ा दी जाती है. विशेष रूप से ब्रह्महत्या, झूठ बोलना, व्यभिचार, गुरु अपमान और धर्म विरुद्ध आचरण करने वालों को अत्यंत कठोर दंड भुगतना पड़ता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, इन कष्टों से मुक्ति केवल प्रायश्चित, सत्य आचरण और भगवान विष्णु की भक्ति से ही संभव है.
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क्या है गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक विशिष्ट स्थान रखता है. यह ग्रंथ वैष्णव परंपरा से जुड़ा है और भगवान विष्णु तथा उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है. इसमें धर्म, मोक्ष, कर्मफल, यमलोक की यात्रा, मृत्यु उपरांत की स्थिति, पितृलोक, पुनर्जन्म और श्राद्ध कर्म जैसे विषयों का गहन विवरण मिलता है. गरुड़ पुराण को विशेष रूप से मृत्यु के रहस्यों और आत्मा की यात्रा को स्पष्ट करने वाला ग्रंथ माना गया है, इसलिए यह मृत्युपरांत ज्ञान का अमूल्य स्रोत है. इसकी शैली उपदेशात्मक है, जो इसे अन्य पुराणों से अलग पहचान देती है. साथ ही इसमें नैतिकता, धार्मिक आचरण, तंत्र, वैदिक विधियां, औषधि और आयुर्वेद संबंधी जानकारी भी सम्मिलित है. हिंदू समाज में मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण का पाठ आत्मा की शांति हेतु अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है.
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