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Health: बढ़ रहा है देश में मोटे लोगों का प्रतिशत, जानिए क्या कहती है रिपोर्ट

Health: मोटापा एक विश्वव्यापी समस्या है. यह कई बीमारियों का जनक भी है. सो इसे लेकर समय रहते सचेत हो जाने में ही समझदारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे लेकर चिंतित हैं. देहरादून में 38वें राष्ट्रीय स्पोर्ट्सों के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने देश में मोटापे की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की थी. कहा था कि मोटापा युवाओं सहित सभी आयु समूहों को प्रभावित कर रहा है और मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. अपनी इस चिंता को प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी साझा किया. कहा कि एक फिट और हेल्दी नेशन बनने के लिए हमें मोटापे की समस्या से निपटना ही होगा. उन्होंने बच्चों में बढ़ते मोटापे पर भी चिंता व्यक्त की और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने व खानपान की आदतों में बदलाव पर जोर दिया. हाल ही में सिलवासा में एक जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बार फिर मोटापे को लेकर चिंता व्यक्त की और तेल के उपभोग को कम करने का आग्रह किया. इसी संदर्भ में आइए, देश में मोटापे व अधिक वजन की स्थिति की पड़ताल करते है.

18 प्रतिशत से अधिक वयस्क ज्यादा वजन के

ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अध्ययन के अनुसार, हिंदुस्तान में 15 से 49 आयु वर्ग के 5.2 प्रतिशत वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 18.3 प्रतिशत अधिक वजन के हैं.

नीचे दिये गये सभी आंकड़े प्रतिशत में हैं

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बढ़ रहा है पेट का मोटापा

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) की (2019-2021) रिपोर्ट में पेट के मोटापे का आकलन किया गया है. इसके अनुसार, देश में पेट का मोटापा बढ़ रहा है और इस परेशानी से स्त्रीओं को कहीं अधिक दो-चार होना पड़ रहा है.

  • 40 प्रतिशत स्त्रीएं देश में जहां पेट के मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 12 प्रतिशत पुरुष इस समस्या से जूझ रहे हैं.
  • 10 में से पांच से छह स्त्रीएं (30 से 49 आयु वर्ग की) पेट के मोटापे से ग्रस्त हैं.
  • 49.3 प्रतिशत स्त्रीएं (30 से 39 आयु वर्ग की) और 56.7 प्रतिशत स्त्रीएं (40 से 49 आयु वर्ग की) देश में पेट के मोटापे की सीमा को पार कर गयी हैं.
  • 23 प्रतिशत स्त्रीएं बीएमआइ के आधार पर मोटापे की सीमा को पार गयी हैं और इनमें से 39.6 प्रतिशत स्त्रीओं की कमर की गोलाई, मानक यानी कट ऑफ रेंज से अधिक है.
  • 22.1 प्रतिशत पुरुष बीएमआइ स्तर के अनुसार अधिक वजन के हैं, और इनमें से 11.9 प्रतिशत के कमर की गोलाई (वेस्ट सरकमफेरेंस (डब्ल्यूसी)) मानक से अधिक है.
  • पेट के मोटापे की यह समस्या अधिक आयु वर्ग, शहरी निवासियों, धनी वर्गों और मांसाहारियों में कहीं अधिक पायी गयी है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेट का मोटापा बढ़ रहा है और यह समाज के निम्न व मध्यम सामाजिक-आर्थिक स्थिति वालों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.
  • केरल में जहां 65.4 प्रतिशत लोग पेट के मोटापे से जूझ रहे हैं, वहीं तमिलनाडु में यह प्रतिशत 57.9 है. पंजाब में 62.5 और दिल्ली में 59 प्रतिशत लोग पेट के मोटापे से जूझ रहे हैं. जबकि मध्य प्रदेश (24.9 प्रतिशत) और झारखंड में (23.9 प्रतिशत) में यह आंकड़ा सबसे कम है.

इन्हें भी पढ़ें : हिंदुस्तान में मोटापे के खिलाफ अभियान की क्यों पड़ी जरूरत? जानिए, क्या कहते हैं आंकड़े

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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